लोकसभा से पारित किए गए एक साथ तीन तलाक विरोधी बिल पर आपत्ति जताते हुए ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा है कि वह इसका विरोध करता है। इसके साथ ही मुस्लिम संस्था ने कहा कि वह लोकतांत्रिक तरीके से इस विधेयक में ‘संशोधन, सुधार और हटाने’ के लिए कदम उठाएगा। दूसरी तरफ शिया वक्फ बोर्ड ने तीन तलाक विधेयक का स्वागत करते हुए कहा है कि ऐसा करने वाले लोगों के लिए और कड़ी सजा का प्रावधान होना चाहिए। प्रस्तावित विधेयक में एक साथ तीन तलाक का दोषी पाए जाने पर पुरुष को तीन साल की कैद का प्रावधान है।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना खलील-उर-रहमान सज्जाद नोमानी ने कहा, ‘इस विधेयक में सुधार, संशोधन और हटाने के लिए लोकतांत्रिक तरीसे जो भी कदम उठाए जा सकेंगे, हम उठाएंगे। फिलहाल हम कोर्ट जाने पर कोई विचार नहीं कर रहे हैं। यह विधेयक जल्दबाजी में लाया गया है।’ उन्होंने कहा कि सरकार को इस मसले पर बोर्ड को अपने विश्वास में लेना चाहिए था।
नोमानी ने कहा, ‘कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने विधेयक को पेश करते हुए बोर्ड का जिक्र किया। इसके अलावा सत्ता पक्ष की एक महिला सांसद ने भी अपने भाषण में बोर्ड की ओर से उठाए गए सवालों का जवाब दिया। यह सवाल बोर्ड ने पीएम को लिखे पत्र में उठाए थे। इससे पता चलता है कि सरकार बोर्ड की मान्यता को स्वीकार करती है। ऐसे में उसे इस मसले पर बोर्ड को भी विश्वास में लेना चाहिए था।’ हालांकि बोर्ड के सदस्य जफरयाब जिलानी ने यह संकेत भी दिए कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इस विधेयक के विरोध में सुप्रीम कोर्ट का भी रुख कर सकता है।
एक टीवी चैनल से बातचीत में जिलानी ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट के फैसले और संविधान के विपरीत कोई भी विधेयक यदि संसद से पारित होता है तो उसे शीर्ष अदालत ने में चुनौती देने का विकल्प हमेशा खुला रहता है। हमारी लीगल कमिटी ने भी सुझाव दिया है कि इसे अदालत में चुनौती दी जा सकती है। हालांकि हम इस विधेयक के पारित होने के बाद कानून लागू होने पर ही अदालत जाने का फैसला करेंगे।’
One thought on “तीन तलाक विरोधी बिल पर बोला मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, लोकतांत्रिक तरीकों से कराएंगे खत्म”
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December 29, 2017
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